Thursday, February 09, 2006

Relationship Redefined...

I found it somewhere on the internet. I must say these are the best lines describing what's going on with me these days [;)].

रिश्तों को सीमाओं में नहीं बाँधा करते
उन्हें झूँठी परिभाषाओं में नहीं ढाला करते

उडनें दो इन्हें उन्मुक्त पँछियों की तरह
बहती हुई नदी की तरह
तलाश करनें दो इन्हें अपनी सीमाएं
खुद ही ढूँढ लेंगे उपमाएं

होनें दो वही जो क्षण कहे
सीमा वही हो जो मन कहे

1 Comments:

At 1:54 AM, Anonymous Anonymous said...

hats off to whosoever written tis nutshell. and thx for sharing it wid us. :)

 

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